Who played Indira Gandhi best on screen ?
गुलज़ार की फिल्म आंधी में सुचित्रा सेन द्वारा निभाया गया किरदार राजनीति और व्यक्तिगत जीवन के बीच संघर्ष को बेहद संवेदनशीलता से दर्शाता है। हालांकि फिल्म में सीधे तौर पर यह नहीं दिखाया गया कि सुचित्रा सेन इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं, लेकिन कहानी और किरदार की बारीकियां उस समय की राजनीतिक पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं।
गुलज़ार ने इंदिरा गांधी की छवि को उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी के आयामों के माध्यम से खूबसूरती से पेश किया। इसके विपरीत, कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी में इंदिरा गांधी का किरदार स्पष्ट और सीधा रूप से दिखाया गया है, जिसमें उनके राजनीतिक फैसलों और संघर्षों पर गहराई से प्रकाश डाला गया है। यह तुलना दोनों फिल्मों के दृष्टिकोण को दर्शाती है—जहां गुलज़ार ने प्रतीकों के माध्यम से कहानी कही, वहीं कंगना ने किरदार की आत्मा को जीवंत करने के लिए गहन प्रयास किए हैं। दोनों ही फिल्मों में अपने-अपने तरीके से इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व का प्रभावशाली चित्रण हुआ है।
![]() |
Also Read about Kangana Renaut
आइए, सुचित्रा सेन के जीवन और अभिनय यात्रा को उनकी फिल्मों के जरिये करीब से जानने और समझने का प्रयास करें।
जब दर्द के मंजर बढ़ जाएं, तो कुछ लोग अतीत के झरोखे को इस कदर बंद कर देते हैं कि उनके गम सिर्फ उनके रह जाएं। सुचित्रा सेन ने भी ऐसा ही किया था, लेकिन आज बात गम की नहीं, खुशी की होनी चाहिए। बंगाली सिनेमा का सबसे बड़ा नाम सुचित्रा उर्फ रोमा दासगुप्ता बंगाल के शिक्षक परिवार में जन्मी जरूर, लेकिन बचपन से ही उनकी खूबसूरती का रंग ऐसा जमने लगा कि उनके कदम पड़ते ही आस पास की कायनात थिरक उठती, पलाश पेड़ों पर लटके रहने के बजाय उसके कदमो के नीचे कुचलने में खुशी महसूस करने लगे...16 साल की स्वप्निली उम्र में चंचल अदा का अधिकारी दिवनात सेन को सौंप कर उनकी विवाहिता बन गई, लेकिन अभिनय उनकी रगों में अब रेंगने लगा था।
ये हिन्दी फिल्म देवदास थी, जिसमें अभिनय सम्राट दिलीप कुमार ने दर्द में डूब कर दर्द को ऐसा मुकाम दिया कि हर मर्द दर्द में खुशी महसूस करने लगा। देवदास बने दिलीप कुमार ने जिस पारो के लिए घर, मां- बाप यहां तक कि जीवन भी छोड़ दिया वो पारो सुचित्रा सेन बनी थी। अपनी पहली ही हिन्दी फिल्म के चरित्र में सुचित्रा इस कदर रम गई कि फिल्म फेयर का बेस्ट अभिनेत्री नॉमिनेशन मिला। अब अभिनय की तारीफ का दौर शुरू हो चुका था। सुचित्रा सेन की बंगाली फिल्म सात पाके बाधा को मास्को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला और ये अवॉर्ड पाने वाली वो पहली अभिनेत्री बनीं।
Suchitar Sen with Dilip Kumar in film 'Devdas'
ये हिन्दी फिल्म देवदास थी, जिसमें अभिनय सम्राट दिलीप कुमार ने दर्द में डूब कर दर्द को ऐसा मुकाम दिया कि हर मर्द दर्द में खुशी महसूस करने लगा। देवदास बने दिलीप कुमार ने जिस पारो के लिए घर, मां- बाप यहां तक कि जीवन भी छोड़ दिया वो पारो सुचित्रा सेन बनी थी। अपनी पहली ही हिन्दी फिल्म के चरित्र में सुचित्रा इस कदर रम गई कि फिल्म फेयर का बेस्ट अभिनेत्री नॉमिनेशन मिला। अब अभिनय की तारीफ का दौर शुरू हो चुका था।
सुचित्रा सेन की बंगाली फिल्म सात पाके बाधा को मास्को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला और ये अवॉर्ड पाने वाली वो पहली अभिनेत्री बनीं। अपने सफर में बारिश की बूंदों से ताजगी लिए सुचित्रा अब उस फिल्म की तरफ बढ़ रही थी, जिसने उनको एक खास पहचान दी। 70 के दशक में आई फिल्म 'आंधी' में कथित तौर पर इंदिरा गांधी से प्रेरित किरदार को जीकर सुचित्रा ने इस परतदार रोल को इस बखूबी से जिया कि इंदिरा गांधी के जीवन के रेफ्रेंस पॉइंट की तरह इस फिल्म को याद किया जाने लगा।
Suchitra Sen: FB page of Colored photos of old actresses |
©अविनाश त्रिपाठी
Know More about the Author- CLICK HERE
Post a Comment